परी और मेंढ़क की कहानी
एक समय की बात
एक घने जंगल में, जहाँ हरियाली और जादू का वास था, एक सुंदर परी रहती थी जिसका नाम तारा था। तारा अपनी चमकदार पंखों और जादुई शक्तियों के लिए जानी जाती थी। वह जंगल के सभी जीवों की मदद करती और उनकी समस्याओं का समाधान करती थी।
मेंढ़क से मुलाकात
एक दिन, तारा जंगल के एक तालाब के पास बैठी थी। तभी उसे एक मेंढ़क दिखाई दिया जो बहुत ही उदास और परेशान लग रहा था। तारा ने उससे पूछा, “क्या बात है? तुम इतने उदास क्यों हो?” मेंढ़क ने कहा, “मेरा नाम माणिक है। मैं इस तालाब का राजा था, लेकिन एक दुष्ट जादूगर ने मुझे इस रूप में बदल दिया है। अब मैं हमेशा के लिए मेंढ़क बनकर रह गया हूँ।”
तारा का वादा
तारा ने माणिक की कहानी सुनकर उसे दिलासा दिया और कहा, “मैं तुम्हारी मदद करूंगी, माणिक। मैं तुम्हें फिर से तुम्हारा असली रूप दिलाने का वादा करती हूँ।” माणिक ने तारा को धन्यवाद कहा और अपनी उम्मीदों को फिर से जाग्रत किया।
जादूगर की खोज
तारा ने जंगल के सभी कोनों में जाकर उस दुष्ट जादूगर की खोज शुरू की। उसने सभी जीवों से पूछा और अंत में उसे पता चला कि जादूगर एक पुराने महल में रहता है। तारा ने बिना किसी डर के उस महल की ओर प्रस्थान किया।
तारा का साहस
महल के भीतर, तारा ने देखा कि जादूगर अपनी जादुई किताबों के बीच बैठा था। तारा ने हिम्मत जुटाकर जादूगर से कहा, “तुमने माणिक को मेंढ़क में बदल दिया है। मैं तुम्हें उसके जादू को वापस लेने का आदेश देती हूँ।” जादूगर हंस पड़ा और बोला, “तुम्हें लगता है कि तुम मुझसे लड़ सकती हो?”
जादुई मुठभेड़
तारा ने अपनी जादुई शक्तियों का उपयोग करते हुए जादूगर से मुकाबला किया। दोनों के बीच एक तीव्र जादुई युद्ध छिड़ गया। तारा की चमकदार पंख और जादुई शक्तियों ने जादूगर को हराने में मदद की। अंत में, तारा ने जादूगर को पराजित किया और उसे मजबूर किया कि वह माणिक पर किए गए जादू को वापस ले।
माणिक का असली रूप
जादूगर ने तारा के आदेश का पालन किया और माणिक को उसके असली रूप में वापस बदल दिया। माणिक फिर से तालाब का राजा बन गया और तारा का धन्यवाद किया। तारा ने कहा, “यह तुम्हारी मेहनत और साहस का फल है, माणिक। अब तुम अपने तालाब और उसके सभी जीवों की देखभाल कर सकते हो।”
खुशी और शांति
माणिक ने अपने तालाब को फिर से सुंदर और हरा-भरा बना दिया। तालाब के सभी जीव खुशी से झूम उठे। तारा ने माणिक को आशीर्वाद दिया और कहा, “जब भी तुम्हें मेरी जरूरत हो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”
कहानी का संदेश
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि सच्ची मेहनत, साहस और सहयोग से किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है। तारा और माणिक की यह कहानी हमें विश्वास दिलाती है कि जब भी हम सही रास्ते पर होते हैं, तब हमें जीत अवश्य मिलती है।
समाप्त